लॉकडाउन के स्वास्थ्य-पाठ
लॉकडाउन की अवधि तथा संबंधित प्रतिबंध, शीघ्र ही समाप्त हो जाएंगे. किंतु लॉकडाउन ने स्वास्थ्य से संबंधित कई पाठ हमें पढ़ाए हैं. लॉकडाउन के स्वास्थ्य-पाठ हम दीर्घ समय तक भूल नहीं पाएंगे. इनमें से कुछ पाठोंपर एक संक्षिप्त दृष्टिक्षेप :
कोरोना अवधि में सबसे अधिक चर्चित शब्द ‘प्रतिरक्षा’ रहा है. यद्यपि, प्रतिरक्षा प्रणाली में आनुवंशिकता एक प्रमुख घटक है, पर स्वास्थ्य से संबंधित कुछ अनुशासन का यदि हम पालन करे तो प्रतिरक्षा प्रणाली को सुधारा जा सकता है.
संतुलित आहार एवम व्यायाम
लॉकडाउन कालावधी में, कई लोग इस तथ्य से अवगत थे कि नियमित गतिविधियों में कमी से शरीर के द्रव्यमान एवम वजन में प्राकृतिक वृद्धि होगी. हममें से कुछ लोगों ने आहार-नियंत्रण से संबंधित गतिविधियों का कठोर अनुशासन से पालन किया, यहां तक कि कई लोग वज़न बढ़ने का भय से वाले कम आहार लेते थे. कुछ लोगोंने दिन में केवल एक बार भोजन करना चुना था. किंतु यदि शरीर को आवश्यक पोषण मूल्य योग्य मात्रा में नहीं मिलते है, तो शक्तिहीनता का अनुभव करना स्वाभाविक है.
कम कार्बोहाइड्रेट तथा अधिक प्रोटीन का सेवन करने से हमारे शरीर में हानिकारक पदार्थों की मात्रा बढ़ जाती है. फल और अनाज कार्बोहाइड्रेट के स्रोत हैं जिनमें प्राकृतिक शर्करा होती है. यह हमारे शरीर को ऊर्जा देता है. कार्बोहाइड्रेट के कुछ गुण शरीर में पीएच के संतुलन को बनाए रखने में सहायता करते हैं. लॉकडाउन कालावधी हमे ये सिखाया है कि वजन का प्रबंधन करने में, संतुलित आहार का योगदान महत्त्वपूर्ण है.
लॉकडाउन ने हमें यह भी सिखाया कि हमें नियमित रूप से व्यायाम करने की आवश्यकता क्यों है. महामारी के दौरान संपूर्ण स्वस्थ रहना, अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया. स्वाभाविक रूप से सभी ने स्वस्थ रहने के भिन्न-भिन्न प्रयास किये. कई लोगों ने घर पर व्यायाम करने की नई तकनीक सीखी. उपकरणों की कमी के कारण एरोबिक्स, योग, ध्यान, नृत्य आदि गतिविधियों पर तथा सामान्य कार्डियो करने पर अधिक ध्यान दिया गया.
आत्मनिर्भरता
नौकरों की या घरेलू सहायकों की अनुपलब्धता के कारण, हमने आत्मनिर्भरता से घर के कई काम निपटाने सीखे. इससे हम दिन भर सक्रिय रहे. उस अवधी में, हम लगातार व्यस्त थे, इसलिए हम अधिक स्वस्थ भी थे. हमारा जीवनक्रम, शरीर में अतिरिक्त कॅलरी को जलाने की सहज पद्धती बन गयी थी. अब हम में से कई लोग समझ गए हैं कि हमारे पूर्वज हमसे ज्यादा स्वस्थ क्यों थे. यहां तक कि विशेषज्ञ भी सहमत हैं कि हम अधिक स्वस्थ हो सकते हैं, यदि हम उसी जीवन शैली का पालन करते रहें.
लॉकडाउन मे अधिकतर रेस्टॉरेंट बंद थे. इस अवधी में घर के पके भोजन का आनंद हमने अधिक लिया. घर में बाहर का खाना खाने या ऑर्डर करने की आदत पर इस का दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेगा. इतना ही नहीं, कई लोगों ने तो कोरोना अवधि के समय खाना पकाने के विभिन्न प्रयोग किये तथा कई व्यंजनों को घरपर बनाने का प्रयास किया. इससे अनेक लोग समझ गये कि घर का बना खाना न केवल पैसों की बचत करता है, अपि अधिक स्वच्छता के कारण उस से स्वास्थ्य लाभ भी होते है. इस सब को ध्यान में रखते हुए, हम एक स्वस्थ जीवन की ओर बढ़ सकते हैं.
हमने स्वच्छता के प्रति बहुत कठोरता अपनाई. यह केवल व्यक्तिगत आदतों तक सीमित नहीं था. हमने नियमित अंतराल पर हाथ धोने / साफ करने, अनावश्यक हाथ-मुंह के संपर्कों से बचने, कपड़े बदलने या यहां तक कि सुरक्षा के कारणों पे ध्यान देने से कई बार स्नान करने की आदत डाल दी. हमने आसपास का परिसर एवं पर्यावरण को बेहतर स्थिति में रखने के लिए, अपनी स्वच्छता संबंधित कई आदतों में सुधार किया.
मानसिक स्वास्थ्य
मानसिक तनाव से बचने के लिए, हम में से कई ने कठोर अनुशासन को अपनाया, इसमें समय पर सोने की तथा प्रात: उठने की आदत का भी समावेश है. कई लोगों ने गुणवत्तापूर्ण नींद के लाभ को समझा. अब हम जानते हैं कि पर्याप्त नींद से न केवल शरीर की ऊर्जा बढ़ती है, पर मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार होता है.
लॉकडाउन के कालावधी में भय, अनिश्चितता एवम असुरक्षा की भावना भरी हुई थी. इसने हमें स्वयं को जानने का अवसर दिया. हम में से कुछ ने नए कौशल्य विकसित किए, जबकि कई ने अपने अभिरुची की पूर्तता की. इस के कारण मन जो की शांति पायी वो अप्रत्यक्ष रूप से तनाव से निपटने में सहाय्यकारी हुई. अंतत: अप्रत्यक्ष रूप से इस का लाभ शारीरिक स्वास्थ्य को मिलता है, यह हमने जाना.
अधिशेष समय के कारण, परिवार के सदस्यों, पड़ोसियों, दोस्तों के साथ, समान विचारधारा वाले लोगों के साथ बातचीत (अधिकांश ऑनलाइन), बढ़ गई. हमने ऐसे कई लोगों से सहायता तथा समर्थन पाया जिस के कारण कठीण समय में हम संभाल पाये. परिणामस्वरूप, इससे मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में सहायता मिली.
शारीरिक एवम मानसिक स्वास्थ्य
जैसा कि लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील दी गई, कई लोग समुद्र तटों, ठंडे स्थानों और द्वीपों की यात्रा करने लगे. कई दिनों तक घर पर रहने तथा अधिकांश समय ऑनलाइन बातचीत करने के कारण, घर से बाहर निकलने की जो तीव्र इच्छा जागी थी, उस इच्छाने, हमें प्रकृति के निकट समय बिताकर मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पाने का पाठ पढ़ाया.
लॉकडाउन के स्वास्थ्य-पाठ अनेक है किंतु उन में, सबसे महत्वपूर्ण तथ्य हमने सीखा है कि हमारा स्वास्थ्य शारीरिक गुणों तक सीमित नहीं है. मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही महत्वपूर्ण है. हम अब यह कह सकते हैं कि हमने सीखा है कि शारीरिक एवम मानसिक स्वास्थ्य रूप से पारस्परिक रूप से जुड़े हुए हैं. यदि भविष्य में एक और महामारी पृथ्वी से टकराती है, तो हमे तन व मन दोनों को स्वस्थ रखना होगा.
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